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लेखनी प्रतियोगिता -14-Feb-2022 valentine Day

शीर्षक = वैलेंटाइन डे



साल २०१० ,  हम्माद अपने कमरे मैं अपनी टेबल पर रखी उर्दू और हिंदी शायरी की किताबे जो अब तक टेबल पर रखी थी । उन्हे अपने कॉलेज बैग मै रखता है। तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक होती हैं।

अरे अम्मी आप, बेटा आज बढ़ी जल्दी उठ गए। जी अम्मी कॉलेज का आज पहला दिन है ना कहीं लेट ना हो जाऊ बस इसी वजह से सुबह ६ बजे का अलार्म लगा दिया था । ओर अब देखे मैं तैयार हू ७ बजे

अम्मी अब्बू अभी भी नाराज है । उन्हे समझाए की मुझे इंजीनियरिंग मै कोई दिलचस्पी नहीं है । मेरे हाथ मै कलम अच्छी लगाती है । जिससे मैं अपने दिल और दिमाग के जज्बातों को  कागज के कोरे और बेजान पड़े वरको (पेज) पर कलम और स्याही से उनमें जान डाल देना चाहता हू । मै एक शायर और राइटर बनना चाहता हू। जो अपने लिखे अल्फाजों को दुनिया के हर इंसान  के दिल तक पोहचाना चाहता है।

बस इतना सा ख्वाब है मेरा। मुझे नही समझ आते ये साइंस (science) और रियाज़ी ( mathmetics) के फॉर्मूला।

बेटा तुम्हारा जो दिल चाहे वो करो मेरी दुआ है की तुम एक अच्छे और मशहूर शायर बनो । लेकिन मेरी बात याद रखना तुम अब तक इस गांव के स्कूल मै पढ़े हो। और अब तुम शहर जा रहे हों पढ़ने। मुझसे वादा करो की तुम वहा सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करोगे । कोई ऐसी गलत हरकत मत करना जिससे मेरा और तुम्हारे अब्बू का सिर शर्म से झुक जाए।कयोंकि शहर की लड़किया बोहोत चालाक होती है । वो तुम्हे बेवकूफ बना कर अपना काम निकाल लेंगी और तुम उसे उनका प्यार समझो गै। 

जी अम्मी मे समझ गया । चले अब नाश्ता करते है फिर मैं कॉलेज जाऊ। नाश्ते की टेबल पर। अब्बू , चल दिए शायर बनने ले लिया B.A में admission सोचा था एकलौता बेटा है इंजीनियरिंग करा कर कही अच्छी जगह सेटल होता देखूंगा । लेकिन नही साहब को राइटर बनना है शायरी करेंगे ।

जेहरा ने हम्माद की तरफ देखा और इशारों से कुछ बोलने से मना करती हैं। हम्माद चुप चाप नाश्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाता है। बस स्टॉप पर उसकी नज़र एक लङकी पर जाती हैं जो नकाब ओढ़े होती हैं और अपने बैग मै कुछ ढूंढ रही होती हैं। की तभी अचानक उस लङकी की बस आ जाती हैं । वो जल्दी मै अपनी एक किताब जिसका नाम एक अधूरी मोहब्बत की दास्तान होता है  वहीं भूल जाती हैं। इतनी देर मैं हम्माद ने उसे वो बुक देने के लिए आवाज़ दी वो बस जा चुकी थी । हम्माद ने खोल कर देखा तब उसकी नज़र एक कागज़ पर पढ़ी जिसपर एक नाम लिखा होता है  रुखसार  बड़ा ही प्यारा नाम है हम्माद ने कहा।

और अगली बस मैं चढ़ गया ।


इतना बडा कॉलेज देख कर वो हैरान होता है । कॉलेज मै बच्चो की भीड़ लगीं होती है। वो अपने हाथ मै चंद उर्दू की किताबे लिए खडा होता हैं कॉलेज के गेट पर। तभी किसी ने उसके  कंधे पर हाथ रख कर कहा फ्रेशर हो आज ही कॉलेज आए हो। जी आज ही पहला दिन है हम्माद कहता है। मेरा नाम सुहैल है मै ने B.A फर्स्ट ईयर में admission लिया है । और तुम्हारा नाम जी मेरा हम्माद मैं B.A फर्स्ट ईयर उर्दू ।

मै समझ गया था तुम्हारे हाथ मै उर्दू की किताब देख कर सुहैल कहता है।

चलो अंदर चलते है। तभी हम्माद की नज़र सुबह बस स्टॉप वाली लङकी पर पढ़ती हैं। वो उसका पीछा करता और आवाज देता पर वो कहीं गायब सी हो गई।

क्लास मै सब बच्चे पढाई करने लगते है । सुहैल और हम्माद एक साथ पीछे सीट पर बैठ जाते हैं।

लंच टाइम मै कैंटीन मै हम्माद ने दोबारा उसे देखा । और उसकी तरफ गया लेकिन अपनी सहेलियों के साथ वो वहा से चली जाति है। हम्माद उसका पीछा करता हैं। और पीछे से आवाज देता हैं। रुखसार , ये सुन वो रुक जाती हैं। और पीछे मुड़ कर देखती हैं।

हम्माद उसके पास आता है और कहता है। आप को इस तरह रोकना नही चाहता था लेकिन सुबह आप ये किताब बस स्टॉप पर छोड़ आई थी जो मुझे मिल गई। फिर आप मुझे कॉलेज मै नज़र आईं तो मैंने सोचा आप को आपकी अमानत लोटा दी।

तुम्हारौ नाम रूकसार है उसकी दोस्तो ने पूछा। तुमने कभी बताया नही महजबीन । महजबीन नही नही घबराते हुए वो मेरी एक दोस्त का नाम है मोहल्ले की। वैसे आपका शुक्रिया किताब लोटाने का।

महजबीन बड़ा प्यारा नाम है हम्माद दिल मै कहता है। वो वही खडा रहता है और वो अपनी सहेलियों के साथ आगे चली जाती हैं। कितनी प्यारी आवाज है इसकी दिल करता है सुनते रहो बस।

हम्माद ,हम्माद सुहैल आवाज देता है। और वो दोनों क्लास रूम मैं चले जाते है । हम्माद उस दिन से उससे बात करना चाहता लेकिन वो किसी भी लड़के से बात नही करती । इसी तरह कई दिन गुजरते हैं। कॉलेज मै एक ड्रामा होने जा रहा था वेलेंटाइन डे पर जिसमें महजबीन को हीरोइन और सुहैल को हीरो बतौर लिया गया। लेकिन सुहैल जानता था की । हम्माद महजबीन को पसन्द करता है और उससे बात करना चाहता है इसलिए उसने ड्रामे की स्क्रिप्ट की कॉपी हम्माद को भी दे दी और खुद फंक्शन वाले दिन पेट दर्द का बहाना कर अपनी वेलेंटाइन के साथ घूमने चला जाता है।

किसी को हम्माद पर भरोसा नही होता की वो एक्टिंग कर लेगा लेकिन जब शो शूरू हुआ और जब आख़री
 पार्ट आया जिसमें लड़के को जहर खाना था । तो ड्रामे का लास्ट पार्ट इस  पिरकर था।

महजबीन= में तुमसे प्यार नही करती हू

हम्माद= तुम करती हो बस दुनिया से डरती हो 

महजबीन= मैने तुमसे कभी प्यार नही किया हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं 

हम्माद = अगर दोस्त थे तो वो खत वो गुलाब जो तुमने मुझे दिया था वो सब किया था । तुम मुझसे प्यार करती हो लेकिन अब तुम्हारे घर वालो ने शादी तय करदी है तुम्हारी । मै भी तुमसे शादी करूंगा अभि और इसी वक्त मैने भी तुमसे कोई दिल लगी नही करी थी सच्ची मोहब्बत की थी मैंने।

महजबीन= मेरे घर वाले नही माने गै इस शादी को दो दिन बाद मेरा निकाह है और मैं अपने मां बाप का सिर शर्मिंदगी से झुका कर तुमसे शादी नही करूंगी।

हम्माद= अगर तुम मुझसे शादी नही करोगी तो फिर लो और ये कह कर उसने जहर की बॉटल खोली और पी गया 

सब ने ताली बजाई ड्रामा खत्म हो जाता है । महजबीन को पहला इनाम मिलता है। उस दिन के बाद महजबीन और हम्माद की बोलचाल होने लगीं उसे भी शायरी और मोहब्बतु के अफसाने पढ़ना बोहोत पसन्द होते है। हम्माद उसे अपने लिखे अफसाने दिखा ता है।

हम्माद ने कई बार महजबीन से उसके घर वालो के बारे में पूछना चाहता लेकिन वो कुछ ना कुछ और बात निकाल कर बात टाल देती ।
हम्माद को ऐसा लगता की शायद शर्म और हया के अलावा भी कोई चीज है जो महजबीन को किसी भी लड़के से बात करने से रोकती ।

वो बोहोत ही डरी डरी सहमी सहमी सी रहती । सिर्फ लड़कियों के साथ ही बात चीत करती । कोई पीछे से आवाज दे तो डर जाती।

कुछ तो परेशानी जरूर है इस लङकी के साथ हम्माद सुहैल को बताता है।

अरे नही अच्छे और शरीफ घर की लड़किया ऐसी ही होती है। क्या पता उसके घर का माहौल सख्त हो सुहैल कहता है

इसी तरह दो साल बीत गए। हम्माद और महजबीन के बीच प्यार कहानी हल्के हल्के आगे बढ़ती हैं । सिर्फ हम्माद ही उससे अक्सर प्यार और शादी की बाते करता । महजबीन सिर्फ और सिर्फ़ उसको सुनती कभी कुछ जवाब नही देती।

कॉलेज की छुट्टियां पढ़ती हम्माद उसे खत लिखता उसके लिए रात को जाग जाग कर शेरो शायरी लिखता । हम्माद की शायरी के दीवाने सारे कॉलेज वाले थे। ना जाने क्यों महजबीन खामोश रहती किसी को भी नही पता उसकी उस खामोशी का राज़ । वो किसी को भी अपने बारे मैं कुछ नही बताती थी किसी ने आजतक उसका घर नही देखा था बस एक पता था जिस पर कोइ रहता भी नही था जिस पर हम्माद खत भेजा करता था । उसे वो पता देने से पहले महजबीन ने उसे वादा लिया था की वो कभी उसके घर आन कर नही देखेगा ।

इसी तरह कई दिन गुजर गाए हम्माद ने आने वाले इस वेलेंटाइन को उसे प्रपोज करने की ठान ली थी घर वालो को भी बता दिए था की वो उससे प्रपोज करके शादी करना चाहता है एग्जाम भी खत्म हो गए थे पढाई मुकम्मल हो चली थी। आखरी मुलाकात मै उसने महजबीन को वेलेंटाइन वाले दिन पार्क में मिलने बुलाया प्रपोज करने के लिए।

वेलेंटाइन वाले दिन हम्माद तेयार हो कर अपनी पॉकेट मनी से बचा कर एक अंगूठी लाया। और सुबह से लेकर शाम तक उसका इतंजार किया । लेकिन वो नही आई हम्माद पागलों की तरह उसे हर जगह तलाश करता रहा लेकिन वो नही मिली 

वो उसका वादा तोड़कर उसके घर गया जहा सिर्फ खंडर पढ़े घर के अलावा कुछ ना था । हम्माद ने उसे हर जगह तलाश किया पर वो नही मिली।

दो दिन बाद दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई जाकर देखा तो एक कुरियर वाला था और बोला किसी रुखसार ने खत भेजा है हम्माद के लिए।

रुखसार ये कोन है हम्माद सोचता है। तभी उसे याद आता है कि ये नाम तो तीन साल पहले उसने महजबीन की किताब मै मिली पर्ची मै पढ़ा था और वो जल्दी से उस खत को ले लेता है।

जिसे खोल कर वो ऐसे सच से वाकिफ होता है । जो किसी को भी नही पता था महजबीन उर्फ रूकसार के बारे मैं उस खत मै लिखा था

" हम्माद मैं जानती हू जब तुम्हे ये खत रूकसार नाम से मिला होगा तो तुम को वो किताब याद आ गई होगी जिस के अंदर रखे कागज़ पर रूकसार नाम लिखा था । हम्माद मैं जानती हू तुमने वेलेंटाइन वाले दिन मेरा इतंजार किया होगा क्योंकि तुम मुझसे मोहब्बत करते थे । तुम हमेशा मुझसे मेरी खामोशी के पीछे का राज जानना चाहते थे । तुम हमेशा मुझसे मेरे घर का पूछते थे और मैं हमेशा टाल देती थी । तो सुनो मेरा असली नाम रूकसार ही है जिस नाम से तुमने पहले दिन मुझे कॉलेज मै आवाज दी थी। हम्माद तुम एक अच्छे लड़के और शायर हों मै भी तुम्हारी दुल्हन बनना पसन्द करती । लेकिन हम्माद जहा मै रहती हू जिस जगह से मेरा ताल्लुक है वहा लड़किया हर रोज़ दुल्हन बनती है लेकिन दूल्हा बदलता रहता है । तुम सही समझे मै एक तवायफ की बेटी हू जिसको सिर्फ वो तीन साल ही मिले थे जिस मै मेने अपनी पढाई मुकम्मल करी वो भी कुछ शर्तो पर जिनमें से एक ये की में सिवाए लड़कियों के अलावा किसी लड़के से बात नही करूंगी और ना किसी लङकी और लड़के को अपने बारे मैं बताऊंगी जी एड्रेस मेने तुमको दिया था। वो मेरा पुराना मकान था  जो हमेशा बंद रहता है।

और कॉलेज मै भी एक लड़का मेरे साथ रहता था जो मुझ पर नज़र रखता था। तुमसे हर  एक मुलाकात पर मुझे १० कोड़े खाना पढ़ती थी। ताकि मुझे याद रहे कि मैं कोन हू। मेरी पढ़ने की जिद की वजह से मेरी मां ने मुझे कॉलेज भेजा । और उस दिन वेलेंटाइन डे वाले दिन जब तुम पार्क मै बैठे मेरा इंतजार कर रहे थे तब मेरी बाजार में बोली लग रहीं थी । तुम एक अच्छे इंसान हो शायद मैं ही बदकिस्मत हू । तुम किसी और से शादी कर के अपना घर बसा लेना मै अब तुम्हारे काबिल नही रही। मेरी मोहब्बत की दास्तान भी उसी किताब की तरह अधूरी रह गई जो मै बस स्टॉप पर छोड़ आई थी

और हा शायरी और अफसाने लिखते रहना । मैं पढ़ती रहूंगी जहा कही भी रहूंगी 


ये सब पढ़ने के बाद हम्माद का दिल टूट गया और उसने उस टूटे दिल के साथ इतनी अच्छी शायरी लिखी की पांच साल बाद जब उसकी शायरी की बुक पब्लिश हुई तो उसने धूम मचा दी मार्केट मै जो उसका सपना था लोगो के दिलो मै बसने का वो पूरा हो गया था।

शायद जो पूरा ना हो वही सच्चा प्यार है


प्रतियोगिता हेतु लिखी गई








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9 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

15-Feb-2022 04:52 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

15-Feb-2022 03:18 PM

शुक्रिया आप सब का

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Dr. Arpita Agrawal

15-Feb-2022 02:19 PM

बहुत सुन्दर कहानी

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